शनिवार, 17 दिसंबर 2011

samman samachar

मुज़फ्फरनगर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अ कीर्तिवर्धन को उनके साहित्यक योगदान एवं हिंदी की सेवा के लिए 'विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ,भागलपुर,बिहार' के १६वे राष्ट्रीय अधिवेशन मे 'विद्यासागर '(डी लिट) की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया|
श्री राम नाम सेवा आश्रम,मौन तीर्थ,गंगा घाट,उज्जैन (मध्य प्रदेश) मे आयोजित विद्यापीठ के १६वे महाधिवेशन मे स्थानीय नागरिकों,पत्रकारों,समाजसेवियों,गुरुकुल के विद्यार्थियों के अलावा देश के कोने कोने से आये 150 से अधिक साहित्यकारों ऩे भाग लिया|दो दिन तक चले इस महाधिवेशन मे मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के खनन मंत्री श्री मालू जी रहे,अध्यक्षता जाने माने साहित्यकार डॉ रामनिवास मानव ऩे की,मंचासीन रहे डॉ तेज नारायण कुशवाहा,कुलपति,डॉ अमर सिंह वधान,सरदार जोबन सिंह ,डॉ देवेंदर नाथ साह तथा सञ्चालन किया डॉ प्रेम चंद पाण्डेय ऩे|
विदित हो कि डॉ अ कीर्तिवर्धन को (मध्य प्रदेश)की साहित्यिक -सांस्कृतिक संस्था 'कादंबरी द्वारा उनकी श्रेष्ठ निबंध कृति 'चिंतन बिंदु' के लिए स्वर्गीय ब्रहम कुमार प्रफुल्ल सम्मान से अलंकृत किया गया जिसके अंतर्गत अंगवस्त्रम,प्रशस्ति पत्र के साथ २१००/ कि सम्मान राशी भी प्रदान कि गयी थी|
डॉ अ कीर्तिवर्धन कि अब तक ७ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं|जतन से ओढ़ी चदरिया' बहुचर्चित रही जो कि बुजुर्गों कि समस्याओं पर केन्द्रित है|डॉ अ कीर्तिवर्धन पर 'कल्पान्त' पत्रिका ऩे अपना विशेषांक 'साहित्य का कीर्तिवर्धन' प्रकाशित कर उनके कृतित्व व व्यक्तित्व पर व्यापक प्रकाश डाला है|कीर्ति वर्धन जी कि अनेक रचनाओं का उर्दू,तमिल,नेपाली ,अंगिका,अंग्रेजी मैथिली मे अनुवाद व प्रकाशन भी हो चुका है|डॉ कीर्तिवर्धन को अब तक देश कि अनेक संस्थाओं से ५० से अधिक सम्मान मिल चुके हैं|
आप बहुप्रकषित एवं बहु पठनीय लेखक के रूप मे देश विदेश मे जाने जाते हैं तथा इन्टरनेट पर भी चर्चित हैं|हम आपके सुखद भविष्य कि मंगलकामना करते हैं|
रमेश चंद गह्तोरी,
नैनीताल बैंक
जाग्रति एन्क्लेव,विकास मार्ग
दिल्ली-92

बुधवार, 9 नवंबर 2011

bazarvad

बाजारवाद --
मैंने कहा
भारतीय संस्कृति मे
बेटी के घर का खाना
उचित नहीं माना जाता,
हमारी परम्परा
बहन ,बेटी को देने की है
उनसे कुछ भी लेने की नहीं|

लोगों ऩे मुझे पढ़ा,सुना और
अतीत की दिवार पर चस्पा कर दिया,
मुझे भारी जवानी मे
बूढ़ा करार दे दिया गया|
बाजारवाद के इस दौर मे
सभ्यता और संस्कृति के
शाश्वत नियमों का उल्लंघन,
अंतहीन,प्रयोजन रहित
बहस करना
वर्तमान बता दिया|
और
एक नई बहस को जन्म दिया
कि नारी
मात्र वस्तु है,भोग्य है
तथा
उसे विज्ञापन बना दिया,
घर,दफ्तर से
दिवार पर लगे पोस्टर तक|
और नारी खुश हो गई
पैसों कि चमक मे|
शायद
इन आधुनिक बाजारवादी लोगों के लिए
कल बहन और बेटी भी
वस्तु / विज्ञापन
या भोग्य बन जायेंगी
यही इनका भविष्य होगा|
और हम
काल के गर्त मे समाकर
प्राचीन असभ्य युग मे
वापस आ जायेंगे |

सच ही तो है
इतिहास स्वयं को दोहराता है |
स्रष्टि के विकास क्रम मे
मनुष्य नंगा रहता था,
आज हम पुनः
बाजारवाद की दौड़ मे
सभ्यता को छोड़कर
नग्नता की और बढ़ रहे हैं,
मन से भी और तन से भी |
प्राचीन कबीलाई संस्कृति को
पुनः अपना रहे हैं,
जातिवाद,क्षेत्रवाद व धर्मवाद के
नए कबीले
तैयार किये जा रहे हैं|

असभ्य मानव
अज्ञानवश पशुओं को खाता था
आज बाजारवाद मे
प्रायोजित तरीकों से
पशु-पक्षियों को
खादय बताया जा रहा है,
जिसके कारण
अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो गयी
कुछ होने के कगार पर हैं,
मगर हम सभ्य हैं,
बाज़ार की भाषा मे
विकास कर रहे हैं,
जंगलों को काटकर
मकान तथा
अस्त्र शस्त्र निर्माण कर रहे हैं|
अब हैजे या प्लेग जैसी
बीमारी की जरुरत नहीं,
सिर्फ एक बम ही काफी है
लाखों लोग नींद मे सो जायेंगे,
उनके संसाधनों पर
हम कब्ज़ा जमायेंगे|

यही तो होता था,
कबीलों मे भी
जिसने जीता
स्त्री,पुरुष,धन संपत्ति
सब उसकी
और आज भी यही होता है
जंगल के राजा
शेर के व्यवहार मे
बंदरों के संसार मे,
और
इन आधुनिकों के
उन्मुक्त विचार मे,घर,व्यापार मे|

हम
सुनहरे कल की और बढ़ रहे हैं,
वह सुनहरा कल
जिसका आधार
बीता हुआ कल है,
जिसका वर्तमान
लंगड़ा व अँधा है,
जिसका भविष्य
अंधकारमय है,
और
जो स्थिर होना चाहता है
बाजारवाद के
खोखले कन्धों पर |

तमसों माँ ज्योतिर्गमय |

डॉ अ कीर्तिवर्धन
9911323732

शनिवार, 5 नवंबर 2011

sapana

सपना ---
लंगड़े की बैशाखी,बच्चे का खिलौना,
रेल आई -रेल आई,लेकर दौड़ा छोना |
सुख की परिभाषा उस बच्चे से पूछो,
ना खाने को रोटी,ना सोने का बिछोना|
खेलता है फिर भी,रुखी रोटी खा,
मांगता नहीं वह कार या खिलौना|
देखा है मैंने उसको सपने सजाते,
खुले गगन तले चाहता है वह सोना|
धरती से अम्बर उसकी सीमाएं हैं,
देखता है सबको रोटी का वह सपना|

डॉ अ कीर्तिवर्धन
9911323732

रविवार, 31 जुलाई 2011

lokarpan jatan se odhi chadaria

"जतन से ओढ़ी चदरिया " तथा कल्पान्त पत्रिका के विशेषांक "साहित्य का कीर्तिवर्धन" का लोकार्पण
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दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा डॉ ए. कीर्तिवर्धन की बुजुर्गों की दशा एवं दिशा पर केन्द्रित ग्रन्थ "जतन से ओढ़ी चदरिया" तथा साहित्य की प्रतिष्ठित पत्रिका 'कल्पान्त' के विशेषांक "साहित्य का कीर्ति वर्धन "का लोकार्पण हिंदी भवन मे सुप्रसिद्ध समाज सेविका ,वरिष्ठ नागरिक केसरी कल्ब की संस्थापिका श्रीमती किरण चोपड़ा द्वारा किया गया| कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ महेश शर्मा,पूर्व महापौर एवं अध्यक्ष दिल्ली हिंदी साहित्या सम्मलेन ऩे की|मुख्य वक्ता के रूप मे आकाशवाणी से कार्यक्रम अधिकारी डॉ हरी सिंह पाल,श्रीमती इंदिरा मोहन ,महामंत्री दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मलेन तथा डॉ रामगोपाल वर्मा ,दिल्ली पब्लिक स्कूल उपस्थित थे|कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ रवि शर्मा ऩे किया|
कार्य क्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से किया गया| सभी अथितियों को पुष्प गुच्छ से श्रीमती रजनी अग्रवाल,डॉ सुधा शर्मा,सुरम्या,वैभव वर्धन आदि ऩे सम्मानित किया|तत्पश्चात श्री महेश शर्मा ऩे डॉ अ कीर्तिवर्धन के व्यक्तित्व ,तथा साहित्यक योगदान पर प्रकाश डाला| श्री शर्मा जी ऩे कहा कि पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव और एकल परिवार के कारण समाज मे वरिष्ठ नागरिकों कि समस्याएँ दिन प्रतिदिन बढाती जा रही हैं|इस पुस्तक में डॉ ए कीर्तिवर्धन ऩे इस समस्या को बखूबी उजागर किया है|उन्होंने कहा कि माता पिता संतान के लिए सदैव पूज्यनीय हैं|यही हमारी संस्कृति एवं परंपरा कि देन है|
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्रीमती किरण चोपड़ा ऩे कहा कि बुजुर्ग होना सौभाग्य कि बात है|डॉ ए कीर्तिवर्धन ऩे बुजुर्गों कि चिंताओं को समाज के सम्मुख लेन का स्तुत्य प्रयास किया है| यह ऐसा ग्रन्थ है जो समस्याओं का निदान भी बताता है| प्रत्येक आयु वर्ग के लिए मार्ग दर्शक के रूप में इसका अति महत्व है|इस ग्रन्थ कि प्रतियाँ प्रत्येक पुस्तकालय,तथा प्रत्येक घर में होनी चाहियें|उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि डॉ ए कीर्तिवर्धन से इसे खरीद कर बुजुर्गों तक अवस्य पहुंचाएं|श्रीमती किरण चोपड़ा ऩे वरिष्ठ नागरिक क्लब से भी डॉ ए कीर्तिवर्धन को जुड़ने का आह्वान किया तथा कहा कि कि ग्रन्थ 'जतन से ओढ़ी चदरिया' कि सामग्री को विभिन्न प्रकाशनों के द्वारा भी समाज तक पहुँचाने का प्रयास करेंगी|
वक्ता के रूप में डॉ हरी सिंह पाल ऩे डॉ कीर्तिवर्धन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण बताया और कहा कि इन्ही संवेदनाओं के कारण यह ग्रन्थ आ पाया जिसके प्रकाशन में सम्पूर्ण व्यय स्वयम डॉ ए कीर्तिवर्धन द्वारा किया गया|उन्होंने जतन से ओढ़ी चदरिया के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला|ग्रन्थ में मौजूद सूक्तियों तथा लघु प्रसंगों को भी उन्होंने महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह ग्रन्थ रामायण कि तरह घर में रखने तथा पढ़ने के लिए उत्तम है| इससे आज के भटकते समाज को दिशा मिलेगी|
इस बीच शिकागो से कीर्तिवर्धन जी की प्रशंशिका गुड्डों दादी के मोबाइल सन्देश से पूरा हॉल तालियों की गडगडाहट से भर गया|
श्रीमती इंदिरा मोहन ऩे पुस्तक में समाहित लेखों,सम्पादकीय तथा काव्य खंड के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कि विद्वानों ऩे सच्चे अर्थों में कर्त्तव्य बोध कराया है|श्रीमती मोहन ऩे कहा कि डॉ ए कीर्तिवर्धन मानवीय मूल्य एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं| दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मलेन उनकी सराहना करता है|जतन से ओढ़ी चदरिया तथा कल्पान्त के विशेषांक का लोकार्पण संस्था के बैनर टले कर हम गौरवान्वित हुए हैं| उन्होंने कहा कि इस ग्रन्थ का एक -एक शब्द प्रत्येक पीढ़ी के लिए मार्ग दर्शक कि तरह है| इसके पढ़ने तथा इस पर अमल कराने से एकल परिवारों कि स्थापना होगी|
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए डॉ रामगोपाल वर्मा ऩे कहा कि डॉ रवि शर्मा तथा कल्पान्त के संस्थापक संपादक डॉ मुरारी लाल त्यागी ऩे डॉ ए कीर्तिवर्धन पर 'साहित्य का कीर्तिवर्धन 'निकाल कर सही व्यक्ति का चयन किया है|वास्तव में डॉ कीर्तिवर्धन इसके लिए सर्वथा उपयुक्त व्यक्ति हैं|कल्पान्त में देश के कोने कोने से आये उनके मित्रों,साहित्यकारों तथा पाठकों के विचार उनकी लोकप्रियता का प्रतीक हैं|कीर्तिवर्धन जी लगभग १७ राज्यों से प्रकाशित होने वाले ३५० से अधिक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं|वह बहुत मिलनसार,मानवीय तथा चिन्तक हैं|
डॉ रवि शर्मा ऩे बताया कि डॉ कीर्तिवर्धन की अब तक ७ पुस्तकें आ चुकी हैं|उनकी रचनाएँ सभी वर्ग के पाठकों के द्वारा सराही जाती हैं| उनकी लेखनी विभिन्न विषयों पर चलती है जिसमे दलित चेतना,नारी मुक्ति,आतंकवाद जैसे विषय हैं तो बालमन का ससक्त चित्रण भी दिखाई देता है| आपकी कुछ कविताओं का चयन महाराष्ट्र में नए पाठ्यक्रम में चयन के लिए किया गया है तथा 'सुबह सवेरे' बिहार, उत्तरप्रदेश तथा उत्तराखंड के अनेक विद्यालयों में पढाई जाती है|
श्रीमती सुधा शर्मा तथा सुरम्या शर्मा द्वारा डॉ ए कीर्तिवर्धन की कविताओं का पाठ किया गया|
डॉ ए कीर्तिवर्धन ऩे अपने वक्तव्य में अपने लेखन का श्रेय अपने पाठकों ,विभिन्न पत्र पत्रिकाओं के संपादकों ,अपनी पत्नी तथा पुत्र को दिया|उन्होंने अपने बैंक के साथियों का भी धन्यवाद् किया जिनका सहयोग उन्हें प्रतिदिन मिलता है|दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मलेन ,श्री महेश चंद शर्मा, श्रीमती इंदिरा मोहन का आभार व्यक्त करते हुए कहा की सम्मलेन के इस प्रकार लेखकों को प्रोत्साहित कराने के प्रयास अनुकरणीय हैं| श्रीमती किरण चोपड़ा जी का भी आभार करते हुए कहा की मुझसे जो भी कार्य बुजुर्गों के हित में हो सकेगा ,कराने का प्रयास करूँगा| सभी वक्ताओं ,डॉ रवि शर्मा,डॉ सुधा शर्मा,सुरम्या तथा सम्मलेन में आये सभी अतिथियों के पार्टी भी कृतज्ञता ज्ञापित की|
सम्मलेन के उपाध्यक्ष श्री गौरी शंकर भारद्वाज ऩे सभी का आभार प्रकट किया|इस अवसर पर लाला जय नारायण खंडेलवाल,श्री अरुण बर्मन,श्यामसुंदर गुप्ता,श्री सुरेश खंडेलवाल ,श्री स प सिंह, श्री ॐ प्रकाश,श्री अनमोल,श्री लक्ष्मी नारायण भाटिया ,संपादक जनसंघ वाणी,श्री प्रदीप सलीम संपादक युद्ध भूमि,श्री गोपल क्रिशन मिश्र संपादक संवाद दर्पण,संपादक बिहारी खबर,आकाशवाणी से संवाददाता ,नैनीताल बैंक के सहायक महाप्रबंधक श्री के एस मेहरा,चीफ मेनेजर श्री रमण गुप्ता,वी के महरोत्रा,श्री देश दीपक ,श्री राकेश गुप्ता ,श्री मनोज शर्मा सहित अनेकों बैंक कर्मचारियों ,श्री लालबिहारी लाल,श्री यु एस मिश्र,अनिल चौधरी,भल्ला जी ,मोहन पाण्डेय जैसे अनेकों साहित्य प्रेमियों,डॉ ए कीर्तिवर्धन के परिवार जनों सहित बड़ी संख्या में लोगों ऩे भाग लिया |
लाल बिहारी लाल तथा डॉ रवि शर्मा द्वारा जारी

मंगलवार, 26 जुलाई 2011

invitation

प्रिय मित्र,
२९ जुलाई दिन शुक्रवार को शाम ५ बजे मेरी पुस्तक 'जतन से ओढ़ी चदरिया' तथा कल्पान्त के विशेषांक का लोकार्पण है|आपसे अनुरोध है कि आमंत्रण पत्र पर दिए कार्यक्रम के अनुसार हिंदी भवन मे पधार कर अपनी उपस्थिति से गौरवान्वित करें.
स्थान-हिंदी भवन,राउज एवेन्यू रोड,आई टी ओ ,बल भवन के पास
शाम ४.४५ से
मुख्य अतिथि -श्रीमती किरण चोपड़ा ,संस्थापक वरिस्थ नागरिक केसरी क्लब
विशिष्ट अतिथि -श्री अनिल भारद्वाज,संसदीय सचिव ,दिल्ली सरकार
अध्यक्ष-श्री महेश चन्द्र शर्मा,पूर्व महापोर,अध्यक्ष-दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मलेन
सानिध्य -श्री मुरारी लाल त्यागी,संस्थापक संपादक-कल्पान्त
वक्ता-श्रीमती इंदिरा मोहन,महामंत्री-दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मलेन
डॉ हरी सिंह पाल,कार्यक्रम अधिकारी,आकाशवाणी,दिल्ली
डॉ रामगोपाल वर्मा,दिल्ली पब्लिक स्कूल,आर के पुरम,दिल्ली
कविता पाठ -डॉ सुधा शर्मा,सुरम्या शर्मा
संचालन-डॉ रवि शर्मा ,संयोजक व साहित्य मंत्री,दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मलेन

--
Dr. A.Kirti vardhan

Mobile: 09911323732
Email:
a.kirtivardhan@gmail.com
a.kirtivardhan@rediffmail.com

Read me at:
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शनिवार, 2 जुलाई 2011

शनिवार, 25 जून 2011

mera desh bharat

भारत
-----------------------------
कण-कण में जहाँ शंकर बसते,बूँद-बूँद मे गंगा,
जिसकी विजय गाथा गाता,विश्व विजयी तिरंगा|
सागर जिसके चरण पखारे,और मुकुट हिमालय,
जन-जन में मानवता बसती,हर मन निर्मल,चंगा|
वृक्ष धरा के आभूषण,और रज जहाँ कि चन्दन,
बच्चा-बच्चा राम-कृष्ण सा,बहती ज्ञान कि गंगा|
विश्व को दिशा दिखाती,जिसकी,आज भी वेद ऋचाएं,
कर्मयोग प्रधान बना,गीता का सन्देश है चंगा|
'अहिंसा तथा शांति' मंत्र, जहाँ धर्म के मार्ग,
त्याग कि पराकाष्ठा होती,जिसे कहते 'महावीर'सा नंगा|
भूत-प्रेत और अंध विश्वाश का,देश बताते पश्छिम वाले,
फिर भी हम है विश्व गुरु,अध्यातम सन्देश है चंगा|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२

रविवार, 12 जून 2011

aao papa mere paas

पापा तुम घर कब आओगे?
मम्मी मुझको रोज बताती
चंदामामा भी दिखलाती
क्यों रहते तुम चंदा पास?
नहीं आती क्या मेरी याद?

दादी भी मुझको बहकाती
भगवान् की बात सुनती
खेल रहे तुम उसके साथ
नहीं आती क्या मेरी याद?

पापा तुम जल्दी आ जाओ
वर्ना में खुद आ जाउंगी
भगवान् से बात करुँगी
तुमको घर ले आउंगी.

पा तुम जब घर आओगे
में संग आपके खेलूंगी
खाना खाऊं दूध पीउंगी
कभी नहीं में रोउंगी.

रात को जब मम्मी सोती है
बिस्तर मे वह रोटी है
करती वह तुमसे जब बात
आती मुझको आपकी याद.

डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732
a.kirtivardhan@gmail.com
a.kirtivardhan@rediffmail.com

गुरुवार, 9 जून 2011

log

लोग

अक्सर हमसे डरते लोग,
महज दिखावा करते लोग|
हम भी यह सब खूब समझते,
चापलूसी क्यों करते लोग|
वो हैं चोरों के सरदार,
कहने से क्यों डरते लोग|
सफ़ेद भेडिये खुले घूमते,
क्यों नहीं उन्हें पकड़ते लोग|
कहते हैं सब बेईमान,
क्यों नहीं उन्हें बदलते लोग|
अबकी बार चुनाव होगा,
फिर से उन्हें चुनेंगे लोग|
लूट रहे जो अपने देश को,
कहते देश भक्त हैं लोग|
जन्म दिया और बड़ा किया
घर के बाहर खड़े क्यों लोग?
मात पिता जीवित भगवान
क्यों नहीं सार समझते लोग?
माँ-बाप कि कदर न करते
मरे हुए से बदतर लोग|
जीवन,मरण,लाभ,यश,हानि
कर्मो का फल कहते लोग|
मानवता कि राह चले जो
अक्सर दुखिया रहते लोग|
भ्रष्ट-बेईमान क्यों कर फूले
बतला दो तुम ज्ञानी लोग |
साँसों कि गिनती है सिमित
बतलाते हैं साधू लोग|
तेरा मेरा करते लड़ते
जीवन व्यर्थ गंवाते लोग|
आज भी हम हैं विश्व गुरु
क्यों नहीं बात समझते लोग?
भारत सदा ज्ञान का केंद्र
कहते हैं दुनिया के लोग|
ज्ञान कि भाषा कहाँ खो गई
ढूंढ रहे हैं ज्ञानी लोग?
अंग्रेजी को महान बताते
मेरे अपने घर के लोग|
सबसे बड़ा बन गया रुपैया
ऐसा कहते ज्यादा लोग|
फिर भी धनी दुखी क्यों रहता
समझाते नहीं सयाने लोग|
देश ऩे हमको दिया है सब कुछ
क्यों नहीं गर्व समझते लोग?
लूट रहे जो अपने देश को
सचमुच बड़े कमीने लोग|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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a.kirtivardhan@gmail.com
box.net/kirtivardhan
09911323732

शनिवार, 21 मई 2011

mukhauton ki dunia

मुखौटों कि दुनिया
मुखौटों कि दुनिया मे रहता है आदमी,
मुखौटों पर मुखौटें लगता है आदमी|
बार बार बदलकर देखता है मुखौटा,
फिर नया मुखौटा लगता है आदमी|
मुखौटों के खेल मे माहिर है आदमी,
गिरगिट को भी रंग दिखाता है आदमी|
शैतान भी लगाकर इंसानियत का मुखौटा,
आदमी को छलने को तैयार है आदमी|
मजहब के ठेकेदार भी अब लगाते है मुखौटे
देते हैं पैगाम,बस मरता है आदमी|
लगाने लगे मुखौटे जब देश के नेता,
मुखौटों के जाल मे,फंस गया आदमी|
जाति,धर्म का जब लगाया मुखौटा,
आदमी का दुश्मन बन गया है आदमी|
देखकर नेताओं का मुखौटा अनोखा,
हैरान और परेशान रह गया है आदमी|
कभी भूल जाता है मुखौटा बदलना आदमी
शै और मात मे फंस जाता है आदमी|
मुखौटों के खेल मे इतना उलझ गया आदमी
खुद की ही पहचान भूल गया है आदमी|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
9911323732
a.kirtivardhan@gmail.com
kirtivardhan.blogspot.com

शनिवार, 7 मई 2011

aankh ka pani

आँख का पानी
होने लगा है कम अब आँख का पानी,
छलकता नहीं है अब आँख का पानी|
कम हो गया लिहाज,बुजुर्गों का जब से,
मरने लगा है अब आँख का पानी|
सिमटने लगे हैं जब से नदी,ताल,सरोवर
सूख गया है तब से आँख का पानी|
पर पीड़ा मे बहता था दरिया तूफानी
आता नहीं नजर कतरा ,आँख का पानी|
स्वार्थों कि चर्बी जब आँखों पर छाई
भूल गया बहना,आँख का पानी|
उड़ गई नींद माँ-बाप कि आजकल
उतरा है जब से बच्चों कि आँख का पानी|
फैशन के दौर कि सबसे बुरी खबर
मर गया है औरत कि आँख का पानी|
देख कर नंगे जिस्म और लरजते होंठ
पलकों मे सिमट गया आँख का पानी|
लूटा है जिन्होंने मुल्क का अमन ओ चैन
उतरा हुआ है जिस्म से आँख का पानी|
नेता जो बनते आजकल,भ्रष्ट,बे ईमान हैं
बनने से पहले उतारते आँख का पानी|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732

गुरुवार, 5 मई 2011

shabdon me

-------शब्दों में ------
मैंने शब्दों में
भगवान को देखा
शैतान को देखा
आदमी तो बहुत देखे
पर
इंसान कोई कोई देखा।
इन्ही शब्दों में
मैंने प्यार को देखा
कदम कदम पर अंहकार भी देखा
धर्मात्मा तो बहुत देखे
पर
मानवता की खातिर
मददगार कोई कोई देखा।

इन्ही शब्दों में
मैंने चाह देखी
भगवान् पाने की
बुलंदियों पर जाने की
गिरते हुए भी मैंने बहुत देखे
पर गिरते को उठाने वाला
कोई कोई देखा।
इन्ही शब्दों में
भ्रष्टाचार को महिमा मंडित करते देखा
नारी की नग्नता को प्रदर्शित करते देखा
पर निर्लजता पर चोट करते
कोई कोई देखा।
इन्हीशब्दों में
कामना करता हूँ ईश्वर से
मुझे शक्ति दे
लेखनी मेरी चलती रहे
पर पीडा में लिखती रहे
पाप का भागी मैं बनूँ
यश का भागी ईश्वर रहे.

डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732
a.kirtivardhan@gmail.com
kirtivardhan.blogspot.com

शनिवार, 30 अप्रैल 2011

mahabharat

महाभारत
एक बार फिर से अभिमन्यु वध हो गया |
युधिष्ठर नैतिकता की दुहाई देते रहे
द्रोपदी का फिर से चीर हरण हो गया.|
अनैतिकता के सामने नैतिकता का
ध्वज फिर तार तार हो गया|
भीष्म के धवल वस्त्र फिर भी न मैले हो सके
सिंहासन की निष्ठा ने उनको फिर बचा लिया|
ध्रतराष्ट्र अंधे हैं गांधारी ने पट्टी बाँधी है
गुरु द्रोण नि: शब्द हैं, सत्ता से उनकी यारी है|
संजय नीति के ज्ञाता हैं, उनको निष्ठां प्यारी है
कर्ण वीर सहन शील बने है दुर्योधन से यारी है|
चक्र व्यूह भेदन के सब नियम बदल गए
अर्जुन और भीम नियमों पर चलते रहे|
दुर्योधन ने नियमों को नया रंग दे दिया
अभिमन्यु का वध कर दुःख प्रकट कर दिया|
शकुनी की कुटिल चालों से
सभी पांडव त्रस्त हैं|
कृष्ण की चालाकियां भी
अब मानो नि: शस्त्र है|

डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२
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शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

samachar

जतन से ओढी चदरिया पर परिच्रर्चा आयोजित
नई दिल्ली- लाल, कला सांस्कृतिक एवं सामाजिक चेतना मंच के तत्वाधान में डा. ए. कीर्तिबर्धन द्वारा बुजूर्गो की दशा एवं दिशा पर आधारित,संपादित ग्रन्थ जतन से ओढी चदरिया पर एक परिचर्चा का आयोजन अल्फा शैक्षणिक संस्थान ,स्कूल रोड ,मीठापुर (नियर संतोषी माता मंदिर) ,बदरपुर, नई दिल्ली में आयोजित किया गया । जिसका उदधाट्न स्थानीय निगम पार्षद महेश आवाना एवं श्री राज कुमार अग्रवाल(संपादकः हमारा मेट्रो) द्वारा संयुक्त रुप से किया गया। इसका संचालन बरिष्ठ साहित्यकार डा.ए.कीर्तिवर्धन ऩे किया । इस कार्यक्रम के संयोजक दिल्ली रत्न लाल बिहारी लाल थे| तथा अध्यक्षता डा. के. के. तिवारी ने किया।
इस परिचर्चा में डा. हरिसिंह पाल (निदेशक-प्रसार भारती), प्रो(डा)हरीश अरोडा, प्रो.(डा.)रवि शर्मा,श्री प्रदीप गर्ग पराग (फरीदाबाद),श्री गाफिल स्वामी(अलीगढ),डा. अजय कुमार भटनागर(मुज्जफर नगर),श्री नासाद औरंगावादी(समस्तीपुर,बिहार), दिल्ली रत्न लाल बिहारी लाल,डा. ए.कीर्तिबर्धन (मुज्जफर नगर),श्री प्रकाश लखानी एवं श्री एन.एल.गोसाईं(फरीदाबाद) आदि १६ विद्वानों ने भाग लिया। सभी ने बुजुर्गो की दशा एवं दिशा पर बोलते हुए कहा कि आज के हालात के लिए स्वयं बुजुर्ग ही जिम्मेदार है क्योंकि बालपन में बच्चों पर ध्यान नही देते जिससे उसे सांस्कारिक घुटी नही मिल पाते है पर बच्चों से उम्मीदों को पाल लेना ही सबसे बडी समस्या की जड बनती जा रही है। श्री लाल बिहारी लाल ने कम्युनिकेशन गैप की पीडा को कुछ यूं कहा कि विरासत संभालने में आजकल के बच्चे भी अपने बाप के भी बाप हो गए हैं।
इस अवसर पर डा. आर. कान्त, डा. सत्य प्रकाश पाठक, श्री मनोज गुप्ता, ,श्री के.पी.सिंह कुवंर,श्री राकेश कन्नौजी,श्री धुरेन्द्र राय, श्री बरुण सर, लोक गायिका सीमा तिवारी, सहित अनेक लेखक एवं सामाज सेवी मौयूद थे।अन्त में धन्यवाद ज्ञापन संस्था की डॉ आर कान्त जी द्वारा किया गया|
कार्यक्रम के उपरांत संस्था की और से जलपान की व्यस्था की गई|
सोनू गुप्ता
(अध्यक्ष) 09868163073

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

khuda na banao

खुदा ना बनाओ
मेरे मालिक!
मुझे इंसान बना रहने दो
खुदा ना बनाओ
बना कर खुदा मुझको
अपने रहम ओ करम से
महरूम ना कराओ।
पडा रहने दो मुझको
गुनाहों के दलदल में
ताकि तेरी याद सदा
बनी रहे मेरे दिल मे।
अपनी रहमत की बरसात
मुझ पर करना
मुझे आदमी से बढ़ा कर
इंसान बनने की ताकत देना।
तेरी हिदायतों पर अमल करता रहूँ
मुझे इतनी कुव्वत देना।
तेरे जहाँ को प्यार कर सकूं
मुझे इतनी सिफत देना।

मेरे मालिक!
मुझे खुदा ना बनाना
बस इंसान बने रहने देना।
मुझे डर है कहीं
बनकर खुदा
मैं खुदा को ना भूल जाऊँ
खुदा बनने के गुरुर मे
गुनाह करता चला जाऊँ।

मेरे मालिक!
अपनी मेहरबानी से
मुझे खुदा ना बनाना।
सिर्फ़ अपनी नजरें इनायत से
मुझे इंसान बनाना।
gustaakhi ना होने पाये मुझसे
किसी इंसान की शान मे
मेहरबानी हो तेरी मुझ पर
बना रहूँ इंसान मैं.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
box.net/kirtivardhan
kirtivardhan.blogspot.com
09911323732

सोमवार, 11 अप्रैल 2011

paricharcha

जतन से ओढ़ी चदरिया पर परिचर्चा

लाल कला,सांस्कृतिक एवं सामाजिक चेतना मंच के तत्वाधान मे 'जतन से ओढ़ी चदरिया' जो की डॉ अ कीर्तिवर्धन द्वारा बुजुर्गों की दशा और दिशा पर आधारित ग्रन्थ है,पर दिनांक २४ अप्रैल को परिचर्चा का आयोजन किया गया है|
परिचर्चा मे स्थनीय निगम पार्षद श्री महेश अवाना ,पत्रकार श्री शिव कुमार प्रेमी,श्री देवेन्द्र उपाध्याय,श्री तुलसी नीलकंठ,गाजियाबाद ,श्री प्रदीप गर्ग पराग-फरीदाबाद,श्री गाफिल स्वामी-बुलंदशहर, श्री अजय कुमार भटनागर-मुज़फ्फरनगर,श्री अनुराग मिश्र गैर-बिजनौर,डॉ रवि शर्मा-दिल्ली,डॉ अ कीर्तिवर्धन-मुज़फ्फरनगर,डॉ महेश अरोरा-दिल्ली,श्री लाल बिहारी लाल-बदरपुर,श्री विनोद बब्बर-संपादक-राष्ट्र किंकर-दिल्ली तथा अन्य वक्ता भाग लेंगे|
आप सदर आमंत्रित हैं|आप अपने विचार भी भेज सकते हैं|
स्थान -अल्फा शैक्षणिक संसथान,स्कूल रोड,मीठा पुर,संतोषी माता के मंदिर के पास,बदरपुर,दिल्ली
समय -शाम 4 बजे से
संपर्क -9868163073,९९११३२३७३२
निवेदक-दिल्ली रत्न-लाल बिहारी लाल तथा डॉ अ कीर्तिवर्धन

शनिवार, 2 अप्रैल 2011

samman samachar

समस्तीपुर- मुज़फ्फरनगर उत्तरप्रदेश के जाने माने कवि,लेखक,समीक्षक डॉ अ कीर्तिवर्धन को भारतीय साहित्यकार संसद ,समस्तीपुर द्वारा उनकी कालजयी कृति "सुबह-सवेरे " के लिए वर्ष २०११ का "माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय शिखर सम्मान" प्रदान किया गया| समस्तीपुर के नगर हॉल मे आयोजित भव्य कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री जिया लाल जी ने की तथा डॉ शैलेश पंडित ने समारोह क उदघाटन किया| शिखर अतिथि के रूप मे जाने माने वरिष्ठ साहित्यकार डॉ स्वामी श्री श्यामानंद सरस्वती जी रहे| विदित हो कि डॉ अ कीर्तिवर्धन की अब तक ६ पुस्तकें मेरी उड़ान,सच्चाई का परिचय पत्र,मुझे इंसान बना दो,दलित चेतना के उभरते स्वर,जतन से ओढ़ी चदरिया प्रकाशित हो चुकी हैं |उनके चर्चित आलेखों का संग्रह "चिंतन बिंदु" प्रकाशनाधीन है| डॉ अ कीर्तिवर्धन के साहित्यक योगदान को द्रष्टिगत करते हुए दिल्ली की प्रतिष्ठित पत्रिका "कल्पान्त" मासिक ने अपना जून २०११ का अंक भी डॉ कीर्तिवर्धन पर केन्द्रित करने का निर्णय लिया है| आप सबसे अनुरोध है की आप डॉ अ कीर्तिवर्धन के विषय मे अपने विचार पत्रिका के अतिथि संपादक डॉ रवि शर्मा ,"सुर सदन", डब्लू -जेड १९८७,रानी बाग़ ,दिल्ली-११००३४ पर ३०-०४-२०११ से पूर्व भेजने की कृपा करें ताकि कल्पान्त के विशेषांक को सम्पूर्णता के साथ प्रकाशित किया जा सके|
डॉ अशोक सिन्हा,
समस्तीपुर

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

samachar

समस्तीपुर- मुज़फ्फरनगर उत्तरप्रदेश के जाने माने कवि,लेखक,समीक्षक डॉ अ कीर्तिवर्धन को भारतीय साहित्यकार संसद ,समस्तीपुर द्वारा उनकी कालजयी कृति "सुबह-सवेरे " के लिए वर्ष २०११ का "माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय शिखर सम्मान" प्रदान किया गया| समस्तीपुर के नगर हॉल मे आयोजित भव्य कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री जिया लाल जी ने की तथा डॉ शैलेश पंडित ने समारोह क उदघाटन किया| शिखर अतिथि के रूप मे जाने माने वरिष्ठ साहित्यकार डॉ स्वामी श्री श्यामानंद सरस्वती जी रहे| विदित हो कि डॉ अ कीर्तिवर्धन की अब तक ६ पुस्तकें मेरी उड़ान,सच्चाई का परिचय पत्र,मुझे इंसान बना दो,दलित चेतना के उभरते स्वर,जतन से ओढ़ी चदरिया प्रकाशित हो चुकी हैं |उनके चर्चित आलेखों का संग्रह "चिंतन बिंदु" प्रकाशनाधीन है| डॉ अ कीर्तिवर्धन के साहित्यक योगदान को द्रष्टिगत करते हुए दिल्ली की प्रतिष्ठित पत्रिका "कल्पान्त" मासिक ने अपना जून २०११ का अंक भी डॉ कीर्तिवर्धन पर केन्द्रित करने का निर्णय लिया है| आप सबसे अनुरोध है की आप डॉ अ कीर्तिवर्धन के विषय मे अपने विचार पत्रिका के अतिथि संपादक डॉ रवि शर्मा ,"सुर सदन", डब्लू -जेड १९८७,रानी बाग़ ,दिल्ली-११००३४ पर ३०-०४-२०११ से पूर्व भेजने की कृपा करें ताकि कल्पान्त के विशेषांक को सम्पूर्णता के साथ प्रकाशित किया जा सके|
डॉ अशोक सिन्हा,
समस्तीपुर
samaydarpan.com/magazine/march2011/emagazine.अस्प्क्स पर भी आप मुझे पढ़ सकते हैं.यह एक अच्छी पत्रिका है आप भी इससे जुड़ें.

--
Dr. A.Kirti vardhan
09911323732
http://kirtivardhan.blogspot.com/

शनिवार, 12 मार्च 2011

kalpant ka visheshank

दोस्तों,
आज आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि साहित्य कि प्रतिष्ठित पत्रिका "कल्पान्त" त्रि मासिक द्वारा एक अंक इस नाचीज पर भी केन्द्रित करने का निर्णय लिया है|आप सबसे विनम्र निवेदन है कि अपनी शुभकामनायें ,सन्देश,या मेरी कविताओं,लेख पर अपने विचार शीघ्र भेजने कि कृपा करें,ताकि विशेषांक मे स्थान दिया जा सके|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
विद्या लक्ष्मी निकेतन
५३-महालक्ष्मी एन्क्लेव
जानसठ रोड
मुज़फ्फरनगर-251001

--

Dr. A.Kirti vardhan
09911323732
http://kirtivardhan.blogspot.com/

रविवार, 27 फ़रवरी 2011

tin baaten

__-तीन बातें_
सिमट रहा है------नदी का नीर
स्त्री का चीर
मन का धीर|
फ़ैल रहा है-------भ्रष्टाचार का जाल
मानव का दुर्व्यवहार
औरत पर अत्याचार|
कम हो रहा है--बच्चों मे सदाचार
परिवार मे प्यार
रिश्तों का संसार|
बढ़ रहा है------नशे का व्यापार
धर्मान्धता का बुखार
शिक्षा का कारोबार |
बचाना होगा---नेताओं के भाषण से
मुफ्त के राशन से
सरकारी कुशासन से |
मिटानी होगी--अश्त्रों-शस्त्रों कि जड़
आतंकवाद कि हद
पाकिस्तान कि सरहद|
Dr. A.Kirti vardhan
09911323732
http://kirtivardhan.blogspot.com/

शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

कभी-कभी खुद का साया देखकर भी
मैं डर जाता हूँ
धूप कि क्या बात करूँ
छाया मे भी निकालने से घबराता हूँ|
आतंकवाद ने जब से अपनी बाहें फैलाई हैं
नेताओं से उनकी साजिश
सुर्खी मे आई है
मैं बारूद कि गंध कि क्या बात करूँ
सुगंध के व्यापर से भी घबराता हूँ
अब मैं ख्वाबों मे भी
संभल संभल कर चलता हूँ,
मैं खुद का साया देखकर भी घबराता हूँ|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२
kirtivardhan.blogspot.com

मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

sakhi tu mat ho udaas

बसंत
हल्दू हल्दू बसंत का मौसम
शीतल हवा कभी गर्म है मौसम
रक्तिम रक्तिम फूले प्लास
सखी तू क्यों है उदास?

सज़ल नेत्र क्यों खड़ी हुई है
दुखियारी सी बनी हुई है
क्यों छोड़ रही गहरी श्वास
सखी तू क्यों भई उदास?

केश तुम्हारे खुले हुए हैं
बादल जैसे मचल रहे हैं
बसंत मे सावन कि आस
सखी तू क्यों है उदास?
वृक्ष पल्लवित हो रहे हैं
पीत पत्र संग छोड़ रहे हैं
नव जीवन सी सजी आस
सखी तू कैसे बनी उदास?
रंग बिरंगे फूल खिले हैं
भंवरे उन पर मचल रहे हैं
तितली भी मकरंद कि आस
सखी तू किसलिए भई उदास?
कलियाँ खिलती,भंवरे गाते
पेड़ों पर पक्षी शोर मचाते
चहुँ और सजा है मधु मास
सखी तू कैसे भई उदास?
पिया मिलन जल्दी होगा
भँवरा फूल संग होगा
रखो जीवन मे विश्वास
सखी तू मत हो उदास.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
९९११३२३७३२

basant

बसंत
बसंत आगमन
ऋतु परिवर्तन,
पीत पत्तों का रुदन
नव श्रष्टि का सृजन|
पशु पक्षियों का कलरव
मानव के मन मे हलचल
भोरों का बढ़ता गुंजन
उपवन मे बढ़ती थिरकन|
शिशिर ऋतु का हुआ अंत
नई फसलों का शुरू आगमन
घर घर मे उत्सव भारी
बसंत आगमन कि तैयारी|
जीवन के प्रति करे उमंगित
बसंत आगमन करे तरंगित
जीवन मे रस भर देता
मन मे खुशियाँ भर देता|
नव श्रष्टि को अंकुरित करता
जीवन मे आशाएं भरता
उपवन मे पुष्पों को भरता
भोरों को गुंजन देता|
जीवन को गति देता
परिवर्तन का करता स्वागत
नव श्रष्टि का करता सृजन
बसंत आगमन-बसंत आगमन|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२

samandar

समंदर सी गहराई मन में हो
ज्ञान के मोती तुम्हारे धन में हों
अथाह जल भरा जैसे सागर में
मानवता हिलोरें ले ,जीवन में हो ।

खारापन समंदर का न कुछ काम आयेगा
प्यासा मर रहा मानव,प्यास कैसे बुझायेगा
भटकोगे समंदर में ,तो मंजिल कैसे पाओगे
शरण प्रभु की आ जाओ ,किनारा भी मिल जायेगा।

समंदर फैंकता बाहर गन्दगी अवशेष को
मन बनाएं आओ निर्मल दूर कर निज दोष को
विशालता सागर सी अपने जीवन में भरे
करें जीवन समर्पित उत्थान में निज देश को।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732
kirtivardhan.blogspot.com

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

agni ki udaan

आज आपके पास अपनी प्रथम पुस्तक "मेरी उड़ान" से एक कविता भेज रहा हूँ|यह रचना हमारे देश के सबसे लोक प्रिय राष्ट्रपति माननीय अब्दुल कलाम साहब के जीवन पर आधारित है|आप अपनी प्रतिक्रिया से अवश्य अवगत कराएँ| धन्यवाद्| अग्नि की उड़ान............
इतिहास के पन्नों मे,
चंद ही लोग
जमीन से उठकर
आकाश पर छाये हैं
अन्यथा वही राजा महाराजा
रंग रूप बदलकर
सत्ता शीर्ष पर छाये हैं|

आप धरा पुत्र हैं,
आम आदमी के
सामूहिक सुख दुःख के
प्रतीक हैं|
आपने देखा है
जीवन को करीब से
शिक्षा का मकसद ,सिखा है रकीब से,
पंडित से सीखी,ज्ञान की बातें,
मौलवी से पढ़ी,कुरआन की आयतें,
परिंदों से सिखा,आज़ादी का मतलब,
"पक्षी-शास्त्री "से सिखा,धर्म-निरपेक्षता का अर्थ|

सच मानों जब से मैं
अग्नि मे उड़ा हूँ,
मैंने पाया अपने अंदर
एक विस्तृत आकाश,
जहाँ छुपा था
मेरे बचपन के सपने का राज,
हर इंसान मे देश भक्ति का जज्बा होगा,
सम्पूर्ण विश्व पर
मानवता का कब्जा होगा|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

aao bachhon khelen khel

आओ बच्चों खेलें खेल
दोस्तों,इस बाल कविता पर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ|

आओ बच्चों खेलें खेल
चलो बनायें मिलकर रेल|
रामू तुम इंजन बन जाना,
सबसे आगे दौड़ लगाना|
सीता,गीता,सोनू,मोनू,
सबको तुम संग ले जाना|
ये सब मिल डिब्बे बन जाएँ,
दीपू तुम झंडी दिखलाना|
गाँव शहर से बढ़ती जाती,
देश प्रेम की अलख जगाती|
छुक-छुक,छुक-छुक चलती रेल,
आप बच्चों खेलें खेल|
सिखलाती है हमको रेल,
मिलकर रहते,बढ़ता मेल|
देश हमारा बहुत विशाल,
दिखलाती है हमको रेल|
आओ बच्चों खेलें खेल,
चलो बनायें मिलकर रेल|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२

बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

aao bachhon khelen khel

आओ बच्चों खेलें खेल
दोस्तों,इस बाल कविता पर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ|

आओ बच्चों खेलें खेल
चलो बनायें मिलकर रेल|
रामू तुम इंजन बन जाना,
सबसे आगे दौड़ लगाना|
सीता,गीता,सोनू,मोनू,
सबको तुम संग ले जाना|
ये सब मिल डिब्बे बन जाएँ,
दीपू तुम झंडी दिखलाना|
गाँव शहर से बढ़ती जाती,
देश प्रेम की अलख जगाती|
छुक-छुक,छुक-छुक चलती रेल,
आप बच्चों खेलें खेल|
सिखलाती है हमको रेल,
मिलकर रहते,बढ़ता मेल|
देश हमारा बहुत विशाल,
दिखलाती है हमको रेल|
आओ बच्चों खेलें खेल,
चलो बनायें मिलकर रेल|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२

jansankhaya niyantran

जनसंख्या नियंत्रण
जनसंख्या नियंत्रण पर
उन्होंने सोच विचार किया
समलेंगिक विवाह द्वारा
समस्या का उपचार किया|

डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732

mera dil hai bada udaas

मित्र ,आपके पास एक छोटी बच्ची जो हॉस्टल मे भेज दी गई है उसका दर्द भेज रहा हूँ आपकी प्रतिक्रिया चाहता हूँ|

मेरा दिल है बड़ा उदास|
आओ पापा मेरे पास
मेरा दिल है बड़ा उदास
मम्मी की भी याद सताती
भैया को मैं भूल न पाती|
तुमसे मैं कुछ न मांगूगी
पढने मे प्रथम आउंगी
रखो मुझको अपने पास
मेरा दिल है बड़ा उदास|
नहीं सहेली संग खेलूंगी
गुडिया को भी बंद कर दूंगी
बैठूंगी भैया के पास
मेरा दिल है बड़ा उदास|
जाओगे जब कल्ब मे आप
मम्मी को ले कर के साथ
रह लुंगी दादी के पास
मेरा दिल है बड़ा उदास|
नहीं चाहिए चोकलेट टाफी
नहीं चाहिए मुझको फ्राक
मम्मी पापा मुझे चाहिए
मेरा दिल है बड़ा उदास|
राजा रानी के किस्से
भगवान की प्यारी बात
दादी हमको रोज सुनाती
आती मुझको उनकी याद|
बुआ से छोटी करवाना
चाचा के संग बाज़ार जाना
जिद नहीं मैं कभी करुँगी
पापा मुझको घर ले जाना|
कहना मानूँ दूध पिऊँगी|
घर की छत पर नहीं चढूँगी
घर ले जाओ मुझको पापा
हॉस्टल मे मैं नहीं पढूंगी|


अ.कीर्तिवर्धन
09911323732

शनिवार, 29 जनवरी 2011

likhana hai to

मित्रों,आपके पास नई कविता भेज रहा हूँ,कृपया अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ |
लिखना है तो..........
लिखना है तो रामायण का सार लिखो
मर्यादा हुई तार-तार,उपचार लिखो,
लिखना है तो मानवता की बात लिखो
किया गया उपकार,तुम साभार लिखो|

आतंकवाद ने अपनी बाहें फैलायीं हैं,
जातिवाद समस्या बनकर छाई है,
किसने फैलाया यह सब,विचार लिखो,
फैलाने वालों का बहिष्कार,प्रचार लिखो|

नेताओं ने आज देश को लूटा है,
अधिकारी हैं भ्रष्ट,बाबू भी नहीं छुटा है,
भ्रष्टाचार ने जड़ें अमरबेल सी फैलाई हैं,
अमरबेल का करना नाश,उपचार लिखो|

लिखना है तो गीता का सार लिखो,
कर्मयोग प्रधान नहीं फल की चाह जगे
मोह ग्रस्त ध्रतराष्ट्र के कुल का नाश लिखो,
धर्म सदा विजयी,सच का साथ लिखो|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२

बुधवार, 26 जनवरी 2011

khuda na banao

खुदा ना बनाओ
मेरे मालिक!
मुझे इंसान बना रहने दो
खुदा ना बनाओ
बना कर खुदा मुझको
अपने रहम ओ करम से
महरूम ना कराओ।
पडा रहने दो मुझको
गुनाहों के दलदल में
ताकि तेरी याद सदा
बनी रहे मेरे दिल मे।
अपनी रहमत की बरसात
मुझ पर करना
मुझे आदमी से बढ़ा कर
इंसान बनने की ताकत देना।
तेरी हिदायतों पर अमल करता रहूँ
मुझे इतनी कुव्वत देना।
तेरे जहाँ को प्यार कर सकूं
मुझे इतनी सिफत देना।

मेरे मालिक!
मुझे खुदा ना बनाना
बस इंसान बने रहने देना।
मुझे डर है कहीं
बनकर खुदा
मैं खुदा को ना भूल जाऊँ
खुदा बनने के गरूर मे
गुनाह करता चला जाऊँ।

मेरे मालिक!
अपनी मेहरबानी से
मुझे खुदा ना बनाना।
सिर्फ़ अपनी नजरें इनायत से
मुझे इंसान बनाना।
गुस्ताखी ना होने पाये मुझसे
किसी इंसान की शान मे
मेहरबानी हो तेरी मुझ पर
बना रहूँ इंसान मैं.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732
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gatisheel

गतिशील

गतिशील होना
जीवन का प्रतीक है
जब की
स्थिर हो जाना
मरे हुए का
निः शब्द गीत है.
फिर भी
अच्छा लगता है
कभी कभी
स्वयं को स्थिर कर देना
बिस्तर की बाहों मे
किसी पुतले की तरह
अपने आपको
निश्छल छोड़ देना
फिर
शांत भावः से
अन्तरिक्ष मे देखते रहना.
निः शब्द अन्तरिक्ष के गीत को
आत्मा की गहरे से सुनना .
उस पल
जैसे
साँसों की डोर छूट जाती है
स्थिर शांत शरीर मे
मृत्यु का बोध कराती है
आत्मा
अन्तरिक्ष मे नए रहस्य
खोज रही होती है.
किसी की आहट मात्र
मेरी तंद्रा को
भंग कर देती है
मुझे
पुनः
जीवित होने का
अहसास दिलाती है.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732

शनिवार, 22 जनवरी 2011

gantantra divas ki shubh kamnayen

२६ जनवरी गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाएं.
सीमा पर खड़ा है,नींद अपनी गंवाकर,
सुरक्षा मे देश की,निज परिवार भुलाकर,
बल की है शान,कर्तव्य की बातें,
देखता है हर पल,जो शांति के सपने|
सैनिक को हर पल नमन करते हैं|
चट्टानों को काटकर,जो नहरें बना देता है,
बाढ़ और सूखे मे,सहायता हेतु आता है,
मृत्यु के मुख से भी,जीवन छीन लाता है,
सीमा पर प्रहरी,सुरक्षा बल कहलाता है|
सैनिक को हम नमन करते हैं|
धार्मिक उन्माद मे,इंसान बनकर आता है,
असत्य पर सत्य की,विजय गाथा गाता है,
जाती,धर्म,छुआ छूत के,सारे बंधन तोड़कर,
राष्ट्र धर्म जिसके लिए,सर्वोपरि बन जाता है|
सैनिक को हम नमन करते हैं.
दुश्मन के वार को,तार तार करता है,
देश की सुरक्षा मे,जीवन वार देता है,
माता को जिसकी,अपने लाल पर गर्व है,
भारत का जन-जन जिसे प्यार करता है |
सैनिक को हम नमन करते हैं|
राणा सा शौर्य जिसकी,शिराओं मे दौड़ता है,
पाक के नापाक इरादे,बूटों तले रौंदता है,
हिमालय भी जिसकी,विजय गाथा गता है,
सम्मान मे जिसके,राष्ट्र ध्वज झुक जाता है,
सैनिक को हम नमन करते हैं|
सीमा के सैनिक का आओ हम सम्मान करें,
सुरक्षा मे परिवार की,हाथ सब तान दें,
बल प्रहरी की पत्नी को,सैनिक सा मान दें,
मात पिता को सैनिक के,हम सब प्रणाम करें|
सैनिक को हम सब हर पल नमन करें|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२