भारत
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कण-कण में जहाँ शंकर बसते,बूँद-बूँद मे गंगा,
जिसकी विजय गाथा गाता,विश्व विजयी तिरंगा|
सागर जिसके चरण पखारे,और मुकुट हिमालय,
जन-जन में मानवता बसती,हर मन निर्मल,चंगा|
वृक्ष धरा के आभूषण,और रज जहाँ कि चन्दन,
बच्चा-बच्चा राम-कृष्ण सा,बहती ज्ञान कि गंगा|
विश्व को दिशा दिखाती,जिसकी,आज भी वेद ऋचाएं,
कर्मयोग प्रधान बना,गीता का सन्देश है चंगा|
'अहिंसा तथा शांति' मंत्र, जहाँ धर्म के मार्ग,
त्याग कि पराकाष्ठा होती,जिसे कहते 'महावीर'सा नंगा|
भूत-प्रेत और अंध विश्वाश का,देश बताते पश्छिम वाले,
फिर भी हम है विश्व गुरु,अध्यातम सन्देश है चंगा|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२
शनिवार, 25 जून 2011
रविवार, 12 जून 2011
aao papa mere paas
पापा तुम घर कब आओगे?
मम्मी मुझको रोज बताती
चंदामामा भी दिखलाती
क्यों रहते तुम चंदा पास?
नहीं आती क्या मेरी याद?
दादी भी मुझको बहकाती
भगवान् की बात सुनती
खेल रहे तुम उसके साथ
नहीं आती क्या मेरी याद?
पापा तुम जल्दी आ जाओ
वर्ना में खुद आ जाउंगी
भगवान् से बात करुँगी
तुमको घर ले आउंगी.
पा तुम जब घर आओगे
में संग आपके खेलूंगी
खाना खाऊं दूध पीउंगी
कभी नहीं में रोउंगी.
रात को जब मम्मी सोती है
बिस्तर मे वह रोटी है
करती वह तुमसे जब बात
आती मुझको आपकी याद.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732
a.kirtivardhan@gmail.com
a.kirtivardhan@rediffmail.com
मम्मी मुझको रोज बताती
चंदामामा भी दिखलाती
क्यों रहते तुम चंदा पास?
नहीं आती क्या मेरी याद?
दादी भी मुझको बहकाती
भगवान् की बात सुनती
खेल रहे तुम उसके साथ
नहीं आती क्या मेरी याद?
पापा तुम जल्दी आ जाओ
वर्ना में खुद आ जाउंगी
भगवान् से बात करुँगी
तुमको घर ले आउंगी.
पा तुम जब घर आओगे
में संग आपके खेलूंगी
खाना खाऊं दूध पीउंगी
कभी नहीं में रोउंगी.
रात को जब मम्मी सोती है
बिस्तर मे वह रोटी है
करती वह तुमसे जब बात
आती मुझको आपकी याद.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732
a.kirtivardhan@gmail.com
a.kirtivardhan@rediffmail.com
गुरुवार, 9 जून 2011
log
लोग
अक्सर हमसे डरते लोग,
महज दिखावा करते लोग|
हम भी यह सब खूब समझते,
चापलूसी क्यों करते लोग|
वो हैं चोरों के सरदार,
कहने से क्यों डरते लोग|
सफ़ेद भेडिये खुले घूमते,
क्यों नहीं उन्हें पकड़ते लोग|
कहते हैं सब बेईमान,
क्यों नहीं उन्हें बदलते लोग|
अबकी बार चुनाव होगा,
फिर से उन्हें चुनेंगे लोग|
लूट रहे जो अपने देश को,
कहते देश भक्त हैं लोग|
जन्म दिया और बड़ा किया
घर के बाहर खड़े क्यों लोग?
मात पिता जीवित भगवान
क्यों नहीं सार समझते लोग?
माँ-बाप कि कदर न करते
मरे हुए से बदतर लोग|
जीवन,मरण,लाभ,यश,हानि
कर्मो का फल कहते लोग|
मानवता कि राह चले जो
अक्सर दुखिया रहते लोग|
भ्रष्ट-बेईमान क्यों कर फूले
बतला दो तुम ज्ञानी लोग |
साँसों कि गिनती है सिमित
बतलाते हैं साधू लोग|
तेरा मेरा करते लड़ते
जीवन व्यर्थ गंवाते लोग|
आज भी हम हैं विश्व गुरु
क्यों नहीं बात समझते लोग?
भारत सदा ज्ञान का केंद्र
कहते हैं दुनिया के लोग|
ज्ञान कि भाषा कहाँ खो गई
ढूंढ रहे हैं ज्ञानी लोग?
अंग्रेजी को महान बताते
मेरे अपने घर के लोग|
सबसे बड़ा बन गया रुपैया
ऐसा कहते ज्यादा लोग|
फिर भी धनी दुखी क्यों रहता
समझाते नहीं सयाने लोग|
देश ऩे हमको दिया है सब कुछ
क्यों नहीं गर्व समझते लोग?
लूट रहे जो अपने देश को
सचमुच बड़े कमीने लोग|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
kirtivardhan.blogspot.com
a.kirtivardhan@gmail.com
box.net/kirtivardhan
09911323732
अक्सर हमसे डरते लोग,
महज दिखावा करते लोग|
हम भी यह सब खूब समझते,
चापलूसी क्यों करते लोग|
वो हैं चोरों के सरदार,
कहने से क्यों डरते लोग|
सफ़ेद भेडिये खुले घूमते,
क्यों नहीं उन्हें पकड़ते लोग|
कहते हैं सब बेईमान,
क्यों नहीं उन्हें बदलते लोग|
अबकी बार चुनाव होगा,
फिर से उन्हें चुनेंगे लोग|
लूट रहे जो अपने देश को,
कहते देश भक्त हैं लोग|
जन्म दिया और बड़ा किया
घर के बाहर खड़े क्यों लोग?
मात पिता जीवित भगवान
क्यों नहीं सार समझते लोग?
माँ-बाप कि कदर न करते
मरे हुए से बदतर लोग|
जीवन,मरण,लाभ,यश,हानि
कर्मो का फल कहते लोग|
मानवता कि राह चले जो
अक्सर दुखिया रहते लोग|
भ्रष्ट-बेईमान क्यों कर फूले
बतला दो तुम ज्ञानी लोग |
साँसों कि गिनती है सिमित
बतलाते हैं साधू लोग|
तेरा मेरा करते लड़ते
जीवन व्यर्थ गंवाते लोग|
आज भी हम हैं विश्व गुरु
क्यों नहीं बात समझते लोग?
भारत सदा ज्ञान का केंद्र
कहते हैं दुनिया के लोग|
ज्ञान कि भाषा कहाँ खो गई
ढूंढ रहे हैं ज्ञानी लोग?
अंग्रेजी को महान बताते
मेरे अपने घर के लोग|
सबसे बड़ा बन गया रुपैया
ऐसा कहते ज्यादा लोग|
फिर भी धनी दुखी क्यों रहता
समझाते नहीं सयाने लोग|
देश ऩे हमको दिया है सब कुछ
क्यों नहीं गर्व समझते लोग?
लूट रहे जो अपने देश को
सचमुच बड़े कमीने लोग|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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a.kirtivardhan@gmail.com
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