मित्रों,आपके पास नई कविता भेज रहा हूँ,कृपया अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ |
लिखना है तो..........
लिखना है तो रामायण का सार लिखो
मर्यादा हुई तार-तार,उपचार लिखो,
लिखना है तो मानवता की बात लिखो
किया गया उपकार,तुम साभार लिखो|
आतंकवाद ने अपनी बाहें फैलायीं हैं,
जातिवाद समस्या बनकर छाई है,
किसने फैलाया यह सब,विचार लिखो,
फैलाने वालों का बहिष्कार,प्रचार लिखो|
नेताओं ने आज देश को लूटा है,
अधिकारी हैं भ्रष्ट,बाबू भी नहीं छुटा है,
भ्रष्टाचार ने जड़ें अमरबेल सी फैलाई हैं,
अमरबेल का करना नाश,उपचार लिखो|
लिखना है तो गीता का सार लिखो,
कर्मयोग प्रधान नहीं फल की चाह जगे
मोह ग्रस्त ध्रतराष्ट्र के कुल का नाश लिखो,
धर्म सदा विजयी,सच का साथ लिखो|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२
शनिवार, 29 जनवरी 2011
बुधवार, 26 जनवरी 2011
khuda na banao
खुदा ना बनाओ
मेरे मालिक!
मुझे इंसान बना रहने दो
खुदा ना बनाओ
बना कर खुदा मुझको
अपने रहम ओ करम से
महरूम ना कराओ।
पडा रहने दो मुझको
गुनाहों के दलदल में
ताकि तेरी याद सदा
बनी रहे मेरे दिल मे।
अपनी रहमत की बरसात
मुझ पर करना
मुझे आदमी से बढ़ा कर
इंसान बनने की ताकत देना।
तेरी हिदायतों पर अमल करता रहूँ
मुझे इतनी कुव्वत देना।
तेरे जहाँ को प्यार कर सकूं
मुझे इतनी सिफत देना।
मेरे मालिक!
मुझे खुदा ना बनाना
बस इंसान बने रहने देना।
मुझे डर है कहीं
बनकर खुदा
मैं खुदा को ना भूल जाऊँ
खुदा बनने के गरूर मे
गुनाह करता चला जाऊँ।
मेरे मालिक!
अपनी मेहरबानी से
मुझे खुदा ना बनाना।
सिर्फ़ अपनी नजरें इनायत से
मुझे इंसान बनाना।
गुस्ताखी ना होने पाये मुझसे
किसी इंसान की शान मे
मेहरबानी हो तेरी मुझ पर
बना रहूँ इंसान मैं.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732
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मेरे मालिक!
मुझे इंसान बना रहने दो
खुदा ना बनाओ
बना कर खुदा मुझको
अपने रहम ओ करम से
महरूम ना कराओ।
पडा रहने दो मुझको
गुनाहों के दलदल में
ताकि तेरी याद सदा
बनी रहे मेरे दिल मे।
अपनी रहमत की बरसात
मुझ पर करना
मुझे आदमी से बढ़ा कर
इंसान बनने की ताकत देना।
तेरी हिदायतों पर अमल करता रहूँ
मुझे इतनी कुव्वत देना।
तेरे जहाँ को प्यार कर सकूं
मुझे इतनी सिफत देना।
मेरे मालिक!
मुझे खुदा ना बनाना
बस इंसान बने रहने देना।
मुझे डर है कहीं
बनकर खुदा
मैं खुदा को ना भूल जाऊँ
खुदा बनने के गरूर मे
गुनाह करता चला जाऊँ।
मेरे मालिक!
अपनी मेहरबानी से
मुझे खुदा ना बनाना।
सिर्फ़ अपनी नजरें इनायत से
मुझे इंसान बनाना।
गुस्ताखी ना होने पाये मुझसे
किसी इंसान की शान मे
मेहरबानी हो तेरी मुझ पर
बना रहूँ इंसान मैं.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732
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gatisheel
गतिशील
गतिशील होना
जीवन का प्रतीक है
जब की
स्थिर हो जाना
मरे हुए का
निः शब्द गीत है.
फिर भी
अच्छा लगता है
कभी कभी
स्वयं को स्थिर कर देना
बिस्तर की बाहों मे
किसी पुतले की तरह
अपने आपको
निश्छल छोड़ देना
फिर
शांत भावः से
अन्तरिक्ष मे देखते रहना.
निः शब्द अन्तरिक्ष के गीत को
आत्मा की गहरे से सुनना .
उस पल
जैसे
साँसों की डोर छूट जाती है
स्थिर शांत शरीर मे
मृत्यु का बोध कराती है
आत्मा
अन्तरिक्ष मे नए रहस्य
खोज रही होती है.
किसी की आहट मात्र
मेरी तंद्रा को
भंग कर देती है
मुझे
पुनः
जीवित होने का
अहसास दिलाती है.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732
गतिशील होना
जीवन का प्रतीक है
जब की
स्थिर हो जाना
मरे हुए का
निः शब्द गीत है.
फिर भी
अच्छा लगता है
कभी कभी
स्वयं को स्थिर कर देना
बिस्तर की बाहों मे
किसी पुतले की तरह
अपने आपको
निश्छल छोड़ देना
फिर
शांत भावः से
अन्तरिक्ष मे देखते रहना.
निः शब्द अन्तरिक्ष के गीत को
आत्मा की गहरे से सुनना .
उस पल
जैसे
साँसों की डोर छूट जाती है
स्थिर शांत शरीर मे
मृत्यु का बोध कराती है
आत्मा
अन्तरिक्ष मे नए रहस्य
खोज रही होती है.
किसी की आहट मात्र
मेरी तंद्रा को
भंग कर देती है
मुझे
पुनः
जीवित होने का
अहसास दिलाती है.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732
शनिवार, 22 जनवरी 2011
gantantra divas ki shubh kamnayen
२६ जनवरी गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाएं.
सीमा पर खड़ा है,नींद अपनी गंवाकर,
सुरक्षा मे देश की,निज परिवार भुलाकर,
बल की है शान,कर्तव्य की बातें,
देखता है हर पल,जो शांति के सपने|
सैनिक को हर पल नमन करते हैं|
चट्टानों को काटकर,जो नहरें बना देता है,
बाढ़ और सूखे मे,सहायता हेतु आता है,
मृत्यु के मुख से भी,जीवन छीन लाता है,
सीमा पर प्रहरी,सुरक्षा बल कहलाता है|
सैनिक को हम नमन करते हैं|
धार्मिक उन्माद मे,इंसान बनकर आता है,
असत्य पर सत्य की,विजय गाथा गाता है,
जाती,धर्म,छुआ छूत के,सारे बंधन तोड़कर,
राष्ट्र धर्म जिसके लिए,सर्वोपरि बन जाता है|
सैनिक को हम नमन करते हैं.
दुश्मन के वार को,तार तार करता है,
देश की सुरक्षा मे,जीवन वार देता है,
माता को जिसकी,अपने लाल पर गर्व है,
भारत का जन-जन जिसे प्यार करता है |
सैनिक को हम नमन करते हैं|
राणा सा शौर्य जिसकी,शिराओं मे दौड़ता है,
पाक के नापाक इरादे,बूटों तले रौंदता है,
हिमालय भी जिसकी,विजय गाथा गता है,
सम्मान मे जिसके,राष्ट्र ध्वज झुक जाता है,
सैनिक को हम नमन करते हैं|
सीमा के सैनिक का आओ हम सम्मान करें,
सुरक्षा मे परिवार की,हाथ सब तान दें,
बल प्रहरी की पत्नी को,सैनिक सा मान दें,
मात पिता को सैनिक के,हम सब प्रणाम करें|
सैनिक को हम सब हर पल नमन करें|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२
सीमा पर खड़ा है,नींद अपनी गंवाकर,
सुरक्षा मे देश की,निज परिवार भुलाकर,
बल की है शान,कर्तव्य की बातें,
देखता है हर पल,जो शांति के सपने|
सैनिक को हर पल नमन करते हैं|
चट्टानों को काटकर,जो नहरें बना देता है,
बाढ़ और सूखे मे,सहायता हेतु आता है,
मृत्यु के मुख से भी,जीवन छीन लाता है,
सीमा पर प्रहरी,सुरक्षा बल कहलाता है|
सैनिक को हम नमन करते हैं|
धार्मिक उन्माद मे,इंसान बनकर आता है,
असत्य पर सत्य की,विजय गाथा गाता है,
जाती,धर्म,छुआ छूत के,सारे बंधन तोड़कर,
राष्ट्र धर्म जिसके लिए,सर्वोपरि बन जाता है|
सैनिक को हम नमन करते हैं.
दुश्मन के वार को,तार तार करता है,
देश की सुरक्षा मे,जीवन वार देता है,
माता को जिसकी,अपने लाल पर गर्व है,
भारत का जन-जन जिसे प्यार करता है |
सैनिक को हम नमन करते हैं|
राणा सा शौर्य जिसकी,शिराओं मे दौड़ता है,
पाक के नापाक इरादे,बूटों तले रौंदता है,
हिमालय भी जिसकी,विजय गाथा गता है,
सम्मान मे जिसके,राष्ट्र ध्वज झुक जाता है,
सैनिक को हम नमन करते हैं|
सीमा के सैनिक का आओ हम सम्मान करें,
सुरक्षा मे परिवार की,हाथ सब तान दें,
बल प्रहरी की पत्नी को,सैनिक सा मान दें,
मात पिता को सैनिक के,हम सब प्रणाम करें|
सैनिक को हम सब हर पल नमन करें|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२
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