ख्वाब
ख्वाब ही हैं जो जिंदगी को
जीना सिखा देते हैं
ख्वाब ही हैं जो मौत से भी
लड़ना सिखा देते हैं
आप तो बस टूटे हुए
ख्वाबों की बात करते हो
हम टूटे हुए ख्वाब को भी
ख्वाब में मुकम्मल बना देते हैं.
हम ख्वाब देखते हैं मगर
हकीकत में जिया करते हैं
ख्वाब को मंजिल नहीं,
रास्ता कहा करते हैं.
आप ख्वाब देखकर बस
ख्यालों में खो जाते हो
हम ख्यालों को भी ख्वाब में
हकीकत बनाया करते हैं.
डॉ अ किर्तिवर्धन
09911323732
शनिवार, 28 नवंबर 2009
रविवार, 15 नवंबर 2009
चाहत १९७७ मे लिखी रचना
चाहत
तू ऐसे आज नज़र आई
जैसे हो भोर अँधेरे की
तुझको गर दीपक मानूं तो
में कीट पतंगा बन जाऊं
तुझको गर साकी मानूं तो
में एक प्याला बन जाऊं
तू बन जाए गर हरियाली
में कीट पतंगा बन जाऊं
तू स्वर्ग लोक को जाए तो
में साधू कोई बन जाऊं
तू नरक लोक को जाए तो
में पापी कोई बन जाऊं
तू कहीं नज़र न आये तो
में आंसू बन कर बह जाऊं.
डॉ अ किर्तिवर्धन
तू ऐसे आज नज़र आई
जैसे हो भोर अँधेरे की
तुझको गर दीपक मानूं तो
में कीट पतंगा बन जाऊं
तुझको गर साकी मानूं तो
में एक प्याला बन जाऊं
तू बन जाए गर हरियाली
में कीट पतंगा बन जाऊं
तू स्वर्ग लोक को जाए तो
में साधू कोई बन जाऊं
तू नरक लोक को जाए तो
में पापी कोई बन जाऊं
तू कहीं नज़र न आये तो
में आंसू बन कर बह जाऊं.
डॉ अ किर्तिवर्धन
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