मेरी कविता
मेरी कविता आँसू सम है
जो बिन नियम के चलते हैं
बस भावों को दर्शाते हैं
बिना कहे
शब्दों म कुछ भी
दिल के राज
बता जाते हैं.
आँसू
बस
भावों की अनुभूति हैं
स्वयं रंग
कैनवास और कूची है.
वाही भाव
जब शब्दों मे आते हैं
शब्द ही रंग
और कूची बन जाते हैं
मेरे पन्नों के कैनवास पर
कविता बनकर
छा जाते हैं.
शब्द स्वयं
कविता बन जाते हैं.
आ.कीर्तिवर्धन
शनिवार, 4 जुलाई 2009
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1 टिप्पणी:
सिर्फ इक़ ही शब्द है : वाह! जारी रहें.
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