समर्पण
कर दीजिये पूर्ण समर्पण अंहकार का
अपने प्रभु के सामने
देखिये फिर कृपा उसकी
क्या मिले संसार मे.
सबसे पहले शान्ति मिलती
फिर मिलता खजाना संतोष का
.जब त्यागी पर निंदा तुमने
प्रभु दोस्ती का संग मिला.
क्या खोया,क्या पाया
समर्पण मे न विचारिये
व्यापार नहीं है प्रभु भक्ति
बस देने का भाव लाइए
डॉ अ किर्तिवर्धन
रविवार, 23 अगस्त 2009
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