सपने का मेल
एक कला कौवा
छीन कर ले गया निवाला
उस बच्चे के हाथ से
जो दो दिन से था भूखा.
जिस निवाले को पाने कि खातिर
माँ से भी रूठा था
भाई से लड़ा था
भीख मांगी थी
सड़क पर भी पड़ा था.
कौवे के छिनने से निवाला
बच्चे को
जरा भी गुस्सा नहीं आया
वह अपनी भूख भी भूल गया
बस
कौवे को देखने मे मशगुल रहा.
उसे अच्छा लगा
कौवे का छिनना निवाला
फिर
दीवार पर बैठकर खाना.
उसके लिए यह एक खेल था
शायद
उसके सपनों का मेल था.
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732
शनिवार, 29 मई 2010
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1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर रचना!!
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