मंगलवार, 23 जून 2009

मेरा गीत मुझे लौटा दो

तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।
गाया था जो संग तुम्हारे
मधुर क्षणों मे,भंवरों के संग
गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।
चंदा की वह मधुर चाँदनी
छत पर जा जब बातें की थी
चाँदनी मुझको लौटा दो
मैं जी लूँगा
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।
अमुवा की वह छावं घनी
पवन संग झुला झूले थे
मुझको लौटा दो
मैं जी लूंगा
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।
तन्हाई मे तिल-तिल जीना
और मिलन की इच्छा करना
पल मुझको लौटा दो
मैं जी लूंगा
तुम चाहती हो तुमको भूलूं
मैं भूलूंगा
मेरा गीत मुझे लौटा दो
मैं जी लूँगा।


जारी है.
प्रस्तुतकर्ता a.kirtivardhan पर 9:37 AM 0 टिप्पणियाँ

रविवार, 7 जून 2009

अनुशासन

_____अनुशासन ____
माँ
नहीं पिलाती दूध
उस मासूम को
समय -बसमे
जब वह होता है
भूखा
और रोता है
दूध के लिए.

माँ
नहीं कराती उसे
स्तनपान
क्योंकि
डर है उसे
अपनी
देहयष्टि के
खराब होने का.

माँ
नहीं पिला सकती
दूध
वक़्त -बेवक्त
उस अबोध को
जो नहीं जानता
समय का महत्व
और
माँ की व्यस्तता .

हाँ
वह सीख जाता है
जन्म से ही
बोतल से दूध पीना
सिर्फ
और सिर्फ
निर्धारित समय पर.
डॉ अ किर्तिवर्धन
०९९११३२३७३२