शनिवार, 21 मई 2011

mukhauton ki dunia

मुखौटों कि दुनिया
मुखौटों कि दुनिया मे रहता है आदमी,
मुखौटों पर मुखौटें लगता है आदमी|
बार बार बदलकर देखता है मुखौटा,
फिर नया मुखौटा लगता है आदमी|
मुखौटों के खेल मे माहिर है आदमी,
गिरगिट को भी रंग दिखाता है आदमी|
शैतान भी लगाकर इंसानियत का मुखौटा,
आदमी को छलने को तैयार है आदमी|
मजहब के ठेकेदार भी अब लगाते है मुखौटे
देते हैं पैगाम,बस मरता है आदमी|
लगाने लगे मुखौटे जब देश के नेता,
मुखौटों के जाल मे,फंस गया आदमी|
जाति,धर्म का जब लगाया मुखौटा,
आदमी का दुश्मन बन गया है आदमी|
देखकर नेताओं का मुखौटा अनोखा,
हैरान और परेशान रह गया है आदमी|
कभी भूल जाता है मुखौटा बदलना आदमी
शै और मात मे फंस जाता है आदमी|
मुखौटों के खेल मे इतना उलझ गया आदमी
खुद की ही पहचान भूल गया है आदमी|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
9911323732
a.kirtivardhan@gmail.com
kirtivardhan.blogspot.com

शनिवार, 7 मई 2011

aankh ka pani

आँख का पानी
होने लगा है कम अब आँख का पानी,
छलकता नहीं है अब आँख का पानी|
कम हो गया लिहाज,बुजुर्गों का जब से,
मरने लगा है अब आँख का पानी|
सिमटने लगे हैं जब से नदी,ताल,सरोवर
सूख गया है तब से आँख का पानी|
पर पीड़ा मे बहता था दरिया तूफानी
आता नहीं नजर कतरा ,आँख का पानी|
स्वार्थों कि चर्बी जब आँखों पर छाई
भूल गया बहना,आँख का पानी|
उड़ गई नींद माँ-बाप कि आजकल
उतरा है जब से बच्चों कि आँख का पानी|
फैशन के दौर कि सबसे बुरी खबर
मर गया है औरत कि आँख का पानी|
देख कर नंगे जिस्म और लरजते होंठ
पलकों मे सिमट गया आँख का पानी|
लूटा है जिन्होंने मुल्क का अमन ओ चैन
उतरा हुआ है जिस्म से आँख का पानी|
नेता जो बनते आजकल,भ्रष्ट,बे ईमान हैं
बनने से पहले उतारते आँख का पानी|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732

गुरुवार, 5 मई 2011

shabdon me

-------शब्दों में ------
मैंने शब्दों में
भगवान को देखा
शैतान को देखा
आदमी तो बहुत देखे
पर
इंसान कोई कोई देखा।
इन्ही शब्दों में
मैंने प्यार को देखा
कदम कदम पर अंहकार भी देखा
धर्मात्मा तो बहुत देखे
पर
मानवता की खातिर
मददगार कोई कोई देखा।

इन्ही शब्दों में
मैंने चाह देखी
भगवान् पाने की
बुलंदियों पर जाने की
गिरते हुए भी मैंने बहुत देखे
पर गिरते को उठाने वाला
कोई कोई देखा।
इन्ही शब्दों में
भ्रष्टाचार को महिमा मंडित करते देखा
नारी की नग्नता को प्रदर्शित करते देखा
पर निर्लजता पर चोट करते
कोई कोई देखा।
इन्हीशब्दों में
कामना करता हूँ ईश्वर से
मुझे शक्ति दे
लेखनी मेरी चलती रहे
पर पीडा में लिखती रहे
पाप का भागी मैं बनूँ
यश का भागी ईश्वर रहे.

डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732
a.kirtivardhan@gmail.com
kirtivardhan.blogspot.com