गुरुवार, 9 अक्टूबर 2014
बुधवार, 8 अक्टूबर 2014
shaayar
दर्द का सैलाब शायर, ख़ुशी का आगाज शायर,
जो नहीं सोचा किसी ने, उसकी भी आवाज़ शायर।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
sharad poornimaa
शरद पूर्णिमा --
शरद पूर्णिमा-शरद ऋतु का, करती है आह्वान,
लिए कलाएँ सौलह नभ में, बता रहे श्रीमान।
बाँट रहे हैं शीतलता को, आज गगन से मामा,
मधुर चाँदनी करती जग में, चन्दा गुणगान।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
samvaad ka mahatv
संवाद
संवाद का महत्त्व बताते, एक दूजे को साथी,
अन्धकार को दूर भगाते, जब मिलते दीया-बाती।
प्रेम पुष्प खिल जाते हैं, निर्जन में भी देखो,
विराने में पिया मिलन को, जब प्रेयसी आती।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
samvaad
संवाद
संवादों से अक्सर देखा, घाव बहुत भर जाते,
शिकवे और शिकायत भी, संवादों से मिट जाते।
चलो करें फिर बातें मीठी, पिछली बात भुलाकर,
मीठी बातों से अक्सर, टूटे दिल भी मिल जाते।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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