सोमवार, 8 दिसंबर 2008

मेरी उड़ान

भय -आतंकवाद का भय
भय
मात्र मन का विकार है
महज संस्कार है.
झझकोरा मैंने
जब एक बार मन को
नन्हे बच्चे की तरह
मैं
अभय हो गया.
भय पर विजय
बच्चे से सीखो
पकड़ लेता है सांप को
खेलता है आग से
और
डाल देता है हाथ

शेर के मुह मे भी
भरत की तरह.
शेर या सांप
swayam
भय bhit है
उस अभय से.
jahan अभय है
vahin aanand है.

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