सोमवार, 28 सितंबर 2009

वेदना

वेदना
प्रत्येक माह मे एक बार
तीन चार दीन के लिए
जब पीड़ित होती हूँ
एक वेदना से,
टूटता है बदन मेरा
आहत होती हूँ मैं
दर्द ना सहने से,
जब मुझे होती है
जरूरत
किसी की संवेदनाओं की
चाहत होती है
तुम्हारी बाहों मे समाने की,
मन तरसता है
किसी का प्यार पाने को,
तब उस क्षण मे
तुम ही नाही
बल्कि
सभी के द्वारा
मैं ठुकरा दी जाती हूँ,
अछूत के समान
स्व केंद्रित बना दी जाती हूँ,
यहाँ तक की
तुम भी मेरे पास नाही आते हो
तब मैं टूट सी जाती हूँ
बस उस पल
मरने की चाह किया करती हूँ.
फिर अचानक अगले ही रोज
तुम्हारा प्यार
मुझे फिर जीवित कार देता है
अगले माह तक
जीने के लिए.
मैं
भूल कार वेदना के उन पलों को
सिमट जाती हूँ
तुम्हारी बाहों के घेरे में
पाने को युम्हारा अमित प्यार.

डॉक्टर आ कीर्तिवर्धन
9911323732

3 टिप्‍पणियां:

Bhawna ने कहा…

बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति............

बधाई

Amit K Sagar ने कहा…

वाह वाह.
कायल कर दिया आपने.

K-LINK HEALTHCARE ने कहा…

vah vah,
bahut sundar,