रविवार, 6 जून 2010

rashak

रश्क
रश्क करने वाले मेरी ख़ुशी से
मेरे अश्कों का भी दीदार कर
छलकते हैं मेरे आंसू गैरों के गम मे
और बह जाते हैं उनका प्यार देखकर.
जीने कि तमन्ना जिनके दिलों मे
बस खुद का घर परिवार देखकर
मरे हुए हैं वो लोग मेरी नज़र मे
तड़फते नहीं कहीं उजड़ा संसार देखकर.

डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732

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